IQNA

तफ़्सीर और मुफ़स्सिर /9

पहली और इकलौती महिला तफ़्सीर "मख़ज़न अल-इरफान"

15:23 - November 29, 2022
समाचार आईडी: 3478169
तेहरान (IQNA):"मख़ज़न अल-इरफ़ान" की लेखिका एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने इस्लामी फ़िक़ह में सर्वोच्च शैक्षणिक डिग्री प्राप्त की और पहली बार एक महिला द्वारा क़ुरआन की मुकम्मल तफ़्सीर लिखी गई ।

"मख़ज़न अल-इरफ़ान" की लेखिका एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने इस्लामी फ़िक़ह में सर्वोच्च शैक्षणिक डिग्री प्राप्त की और पहली बार एक महिला द्वारा क़ुरआन की मुकम्मल तफ़्सीर लिखी गई ।

 

ऐतिहासिक सुबूत, शुरुआती इस्लामी शताब्दियों में महिलाओं के विशेष तफ़्सीरी क्लास के आयोजन को दर्शाते हैं, लेकिन जब हम पिछली चौदह शताब्दियों के मशहूर मुफ़स्सिरों की सूची की समीक्षा करते हैं, तो कुरान की पूरी तफ़्सीर लिखने का काम करने वाली एकमात्र महिला सैयदा नुसरत अमीन हैं, जो इस्फ़हान (ईरान के शहरों में से एक) की मुफ़स्सिर और फ़क़ीह हैं। बानो अमीन द्वारा तफ़्सीर "मखज़न अल-इरफान" फारसी भाषा में पंद्रह खंडों में लिखी गई है।

 

‌लेखक के बारे में 

सैय्यदा नुसरत अमीन बेगम इस्फ़हानी, जिन्हें बानो अमीन (1308-1403 हि.) (1890-1982 ई.) के नाम से जाना जाता है, के पास इज्तिहाद (इस्लामी न्यायशास्त्र में सर्वोच्च शैक्षणिक ) का दरजा था। बानो अमीन की इलमी स्थिति ऐसी थी कि आयतुल्ला सैय्यद शहाबुद्दीन मराशी नजफी और अल्लामा अमीनी को उनसे बयान करने की अनुमति (इजाज़ए रिवायत) मिली थी।

इस मुज्तहिद महिला की कामों में छात्रों का प्रशिक्षण, इस्फ़हान में सिस्टरन मदरसा की स्थापना, लड़कियों के हाई स्कूल की स्थापना और विभिन्न विषयों पर कई किताबें लिखना शामिल था।

 

‌अल-इरफान की विशेषताएं

तफ़सीर मख़ज़ान अल-इरफ़ान कुरान की व्यापक तफ़सीरों में से एक है, जो एक बयान और तजज़ियाती तरीक़े से आयतों की तफ़सीर करती है। इस तफ़्सीर का असली तरीका, अख़लाक और इरफान है है। 

इस तफ़सीर में मुद्दों को व्यक्त करने का तरीका यह है कि लेखक पहले आयतों के समूह का अनुवाद लाती हैं, फिर तफ़्सीर में प्रवेश करती हैं और कुरान के संदेश को सरल और सादा तरीक़े के साथ समझाती हैं। लेखक कभी-कभी मुल्ला सदरा और कुछ फॉलसफी और आरिफ़ के शब्दों का उल्लेख करती हैं।

लेखक इस तफ़्सीर को लिखने की प्रेरणा और कैफियत के बारे में लिखती हैं: कुछ दिनों तक मैं खौफ़ और रजा (डर और उम्मीद) के बीच थी, फिर मैंने आयतों का शाब्दिक अनुवाद शुरू किया और कुछ मोह्कम आयतों (जिनके मानी और मफ़हूम में कोई शक और शुब्हा नहीं होता है) को समझाने की कोशिश की।

अल्लाह के सामने मनुष्य की हैसियत की व्याख्या करते हुए, वे कहती हैं: "किसी ने एक आरिफ से पूछा, आपने अल्लाह को किस चीज के जरिए पहचाना? उन्होंने कहा कि मुझे एहसास हुआ कि जब भी मैं पाप करने का इरादा करता हूं, मैं अल्लाह की अज़मत को याद करता हूं और पाप से दूर रहता हूं। 

मुजतहेदा अमीन ने अपनी तफ़सीर में शिया और सुन्नी दोनों तफ़्सीरों पर काम किया है और उनके शब्दों का उल्लेख किया है। उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली तफ़्सीरों में, हम तफ़्सीर मुल्ला सदरा, मजमा अल ब्यान, तफ़्सीर क़ुम्मी, रूज़ अल-जिनान और रूह अल-जिनान, तफ़्सीर अय्याशी, कश्फ अल-असरार, मनहज अल-सादिकीन, अल-मीज़ान, अल- बुरहान, जवाहिर अल-तफ़्सीर का जिक्र कर सकते हैं।

 

 

 

captcha