अंतर्राष्ट्रीय कुरान समाचार ऐजेंसी(IQNA) ने अल-मिसरीयून अखबार के हवाले से, इब्राहीम हसन कू ने अल-अजहर विश्वविद्यालय से पढ़ाई और स्नातक होने के बाद,मक्का तन्ईम क्षेत्र में प्रचार और मार्गदर्शन कार्यालय में अपने करियर की शुरुआत की।
इस फिलिपिनी मिशनरी व क़ारी को पवित्र कुरान की ग़मगीन व ख़ाशेआना तिलावत के रूप में जाना जाता है, और उनकी दर्दनाक और प्रभावशाली तिलावतें यूट्यूब पर प्रसिद्ध हैं।
कहा गया है कि इब्राहिम हसन कू, "अल-मिज़मार अज़्ज़हबीयह" (इस्लामी दुन्या की कुरानिक प्रतियोगिता से), कुरान प्रतिस्पर्धा के पहले स्थान पर थे, अपने देश फ़िलीपीन में सालाना छुट्टियों के दौरान एक समूह द्वारा मार डाला गया था जिनकी पहचान नहीं होसकी।
चश्मदीद गवाहों के अनुसार, उनका परिवार मजबूरन और इस्लामी कब्रिस्तान की कमी के कारण उसे ईसाइयों के कब्रिस्तान में दफ़्न करना चाहते थे कि उनके कुछ छात्रों और सहकर्मियों ने इस विषय की जानकारी के बाद किए गए विचार-विमर्श के साथ उनके परिवार को राज़ी किया कि समुद्र रास्ते से आने जाने संबंधित लागत देने के साथ फिलीपीन कारी को मुस्लिम कब्रिस्तान में दफन किया जाऐगा।
प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी कहा कि ईब्राहिम हसन-कु की मृत्यु के 11 दिनों के बाद कब्रिस्तान में दफ़्न करने के समय तक,उनका शरीर को बिना किसी बदलाव के व पूरे आराम के साथ अबदी आरामगाह कब्र में रखा गया था।